डीटीएफ प्रेस-विज्ञप्ति: आइए मिलकर डूटा को फिर से शिक्षकों की आवाज़ बनाएं और सार्वजनिक उच्च शिक्षा की रक्षा करें

आइए मिलकर डूटा को फिर से शिक्षकों की आवाज़ बनाएं और सार्वजनिक उच्च शिक्षा की रक्षा करें

डीटीएफ ने आज डूटा (DUTA) चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, जो 4 सितम्बर 2025 को होंगे। अध्यक्ष पद के लिए राजीब रे को उम्मीदवार बनाया गया है। डूटा कार्यकारिणी समिति के लिए बिश्वजीत मोहंती, दिनेश कटारिया, वी.एस. दीक्षित और यशा यादव को टीम में शामिल किया गया है।

डीटीएफ उन सभी शिक्षक संगठनों और कार्यकर्ताओं को साथ लाने की कोशिश कर रही है, जो इस बात से परेशान हैं कि डूटा की सरकार समर्थक एनडीटीएफ टीम शिक्षकों और शिक्षा पर हो रहे बुरे बदलावों का विरोध नहीं कर रही है। इसलिए आज जरूरत है कि हम सब एकजुट हों और राजीब रे को उम्मीदवार बनाकर एक मजबूत संयुक्त मोर्चा बनाएं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इन दिनों नई शिक्षा नीति (NEP) और उससे जुड़े नियमों, दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं के कारण खतरे में हैं। यह नीतियाँ शिक्षा की गुणवत्ता, सार्वजनिक चरित्र और शिक्षकों की सेवा शर्तों को कमजोर कर रही हैं।

पहले डूटा (DUTA) की ताकत यह थी कि वह सभी शिक्षकों को एकजुट कर सरकार की नीतियों का विरोध करती थी। उसने कई बार सरकार को गलत नीतियाँ वापस लेने के लिए मजबूर किया। यह संघर्ष शिक्षकों के हक और शिक्षा की गरिमा की रक्षा के लिए होता था।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में डूटा की यह भूमिका बहुत कमजोर हो गई है। अब डूटा शिक्षक हितों की लड़ाई छोड़कर विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र सरकार के इशारों पर चल रही है। वह अब एक ऐसी संस्था बन गई है जो शिक्षकों की आवाज़ उठाने के बजाय उन पर नियंत्रण रखती है। इससे शिक्षक अकेले, कमजोर और बेआवाज़ होते जा रहे हैं।

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