DTF Hindi Leaflet for DUTA Elections 2023

कुछ होगा कुछ तो होगा अगर मैं बोलूँगा 
न टूटे न टूटे सत्ता का तिलिस्म
मेरे अंदर का कायर टूटेगा
मेरे टूट मेरे मन टूट, मत झूठ मूठ ऊब, मत रूठ! —  रघुवीर सहाय

सत्यवती इवनिंग के हिन्दी विभाग में स्थायी नियुक्ति के नाम पर सामूहिक संहार की खबर दिल्ली विश्वविद्यालय में गूंज रही है। ऐसे में बोलने के सिवा और कोई विकल्प नहीं बचा है। जब विकल्प न हो तो संकल्प होता है। आज दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के चुनाव में मतदान नहीं संकल्प का वक्त आ गया है। डिसप्लेसमेंट की राजनीति करने वालों को डूटा नेतृत्व से डिसप्लेस करने का संकल्प।

डूटा के चुनाव में क्या है मुद्दा ?

FYUP को लागू करने का परिणाम सामने है। नए UGCF के कारण वर्कलोड में भयानक गिरावट आई है। ट्यूटोरियल/प्रेक्टिकल और क्लास रूम का साइज बढ़ाकर एवं प्रत्येक पेपर के 5 पीरियड को घटाकर तीन/दो कर देने से वर्कलोड के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता जबरदस्त प्रभावित हुई है। 8 AM से 8 PM की कार्य-अवधि हो या फिर ग्रेडेड ऑटोनोमी का सवाल, शिक्षकों के सर्विस कंडीशन पर भयानक हमला हो चुका है परंतु NDTF खामोश है। खामोश ही नहीं वह इन मुद्दों को D.U.T.A. द्वारा फैलाया जाने वाला अफवाह और भय की संज्ञा दे रहा है। उनका कहना है कि प्रमोशन करवाया, नियुक्ति शुरू की और अब पेंशन लेकर आएंगे। आज तक पास्ट सर्विस काउंट करवाने का बस ढपोर शंख फूँक रहे हैं। एक भी आंदोलन दो साल में नहीं हुआ।

NDTF क्या लेकर आएंगे यह तो भविष्य की बात है। पिछले दो सालों में वे सरकार से मिलकर क्या लेकर आए हैं – यह जानने की बात है।

ग्रेडेड ऑटोनोमी के जरिए बीओजी मॉडल का DU में प्रवेश

यूजीसी का ग्रेडेड ऑटोनोमी रेगुलेशन DU में लागू किया जा चुका है। उच्च ग्रेडिंग प्राप्त संस्थानों के सेल्फ-फ़ाईनांस मॉडल का नाम है ग्रेडेड ऑटोनोमी। DU अब उस श्रेणी में आ गया है। सरकार परस्त प्रोपेगेंडा इसकी वाहवाही कर रहा। लेकिन यह है क्या? यह निजी संस्थानों का बिजनस मॉडल है जिसे सरकारी संस्थानों के ऊपर थोपा जा रहा है। सरकारी संस्थान(HEI) को अपने यहाँ नए नए कोर्स शुरू करने का लक्ष्य दिया गया है। यह कोर्स पूरे तौर पर सेल्फ-फ़ाईनांस पर आधारित होंगे। अगर ऐसा करने में संस्थान असफल होते हैं तो उसके ग्रांट को कम किया जाएगा। सेल्फ-फ़ाईनांस कोर्स बढ़ेंगे तो नियमित कोर्स घटेंगे, सेल्फ-फ़ाईनांस नहीं बढ़ेंगे तो रेगुलर कोर्स के लिए मिलने वाला अनुदान कम होगा। मतलब दोनों ही अर्थ में रेगुलर कोर्स की जगह सेल्फ-फ़ाईनांस कोर्स को बढ़ावा मिलना तय है। निजीकरण का यह मॉडल आज हमारे सामने आ गया है। इसे ही सांप छुछुंदर वाली हालत कहते हैं। सांप ने छुछुंदर को चूहा समझ मुंह में ले लिया – अब अगर उसे निगला तो मरेगा, उगला तो अंधा होगा।(किंवदंती) इसके साथ ही ग्रेडेड ऑटोनोमी के जरिए बीओजी को ले आया गया है। हर ऑटोनॉमस संस्थान यानि कॉलेज का अपना बोर्ड ऑफ गवर्नर्स होगा। जिसके पास असीम अधिकार होंगे। क्या कोर्स होगा, उसकी फीस क्या होगी, शिक्षकों-कर्मचारियों की सर्विस कंडीशन क्या होगी, किसे प्रमोशन मिलेगा, यहाँ तक कि वेरिएबल पे स्ट्रक्चर भी होगा। अभी जिस यूनिवर्सल पे स्ट्रक्चर मतलब सबकी एक समान सेलरी स्ट्रक्चर और प्रमोशन स्कीम है – उसके अंत की घोषणा की जा चुकी है। लॉ फेकल्टी में नए कोर्स का फीस 2 लाख प्रति वर्ष तय किया गया है।

क्या है प्रमोशन, नियुक्ति और ओल्ड पेंशन स्कीम की सच्चाई ?

छठे पे कमीशन के बाद ही प्रमोशन की नीति को लेकर देश-व्यापी असंतोष को डूटा ने FEDCUTA और AIFUCTO के साथ मिलकर जो साझा संघर्ष किया उसका परिणाम है कि 2018 में API की पुरानी स्कीम को समाप्त किया गया। DTF के राजीव रे के नेतृत्व वाली डूटा ने अंततः नया प्रमोशन स्कीम हासिल किया जिसमें कॉलेज में प्रोफेसर का प्रमोशन भी एक है। इसी स्कीम से वर्तमान डूटा अध्यक्ष भी प्रोफेसर बने और तमाम शिक्षकों को भी प्रमोशन प्राप्त हुआ। ठीक यही स्थिति स्थायी नियुक्ति को लेकर हुई। साझा शिक्षक आंदोलन ने देश भर में यह संदेश दिया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षकों का शोषण हो रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता खतरे में है। उसी आंदोलन ने 2019 में वह किया जिसने सरकार को हिलाकर रख दिया। सरकार को ROD साइन करने के लिए मजबूर कर दिया। प्रमोशन हो या स्थाई नियुक्ति- सरकार की नीतियों के खिलाफ चलाए गए साझा आंदोलन का ही अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ। न्यू पेंशन स्कीम भी भाजपा सरकार के द्वारा लाई गई नीति है, इसे भी साझा और देश-व्यापी संघर्ष से ही हासिल किया जा सकता है। क्या NDTF का पिछले दो साल का रेकॉर्ड सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष का है? जवाब है नहीं। सामूहिक संघर्ष की उपलब्धि को व्यक्तिगत उपलब्धि बनाने की राजनीति डूटा में भागी के नेतृत्व में दिखाई देती है। प्रमोशन मैन की घोषणा उसी का नमूना है। ध्यान रहे कि सेलेक्टिव तरीके से लोगों के प्रमोशन के इंटरव्यू और स्क्रीनिंग नहीं करवाए जा रहे।

NDTF ने पिछले दो साल में EWS के पोस्ट के लिए कोई संघर्ष नहीं किया, जिसका परिणाम सैकड़ों की संख्या में तदर्थ शिक्षक साथियों का डिसप्लेसमेंट है। इसके साथ ही उनका दो साल का रेकॉर्ड है संघी घरानों और उनके तरह तरह के संगठनों के जरिए नियुक्तियों को प्रभावित करना, पैसे का लेनदेन, भाई भतीजावाद, परिवारवाद आदि के तहत नियुक्तियाँ। चुने गए प्रतिनिधियों के परिवार वालों की थोक में नियुक्ति, खासकर लंबे समय से पढ़ा रहे साथियों को डिसप्लेस कर। आज यह सब आम चर्चा का विषय है, जिसकी वजह से हजारों की संख्या में डिसप्लेसमेंट देखा जा सकता है।

भय और अफवाह नहीं, सच्चाई है।

NDTF नेता लगातार अपने प्रचार में कह रहे हैं कि D.U.T.A. के द्वारा भय और अफवाह फैलाया जा रहा है। FYUP, ग्रेडेड ऑटोनोमी, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और बी.ओ.जी. आदि एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में पास होकर आज DU की सच्चाई बन चुके हैं। दुर्भाग्य यह है कि सरकार की इस शिक्षा और शिक्षक विरोधी नीतियों का विरोध करना तो दूर NDTF ने डूटा को दरकिनार कर इनका समर्थन किया है। HEFA से हजारों करोड़ का लोन लिया जा चुका है। अब भी इस सच्चाई को स्वीकार कर शिक्षकों को लड़ने के लिए प्रेरित और लामबंद करने के बजाय NDTF इसे भय और अफवाह फैलाना कह रहा है।

शिक्षक का आत्मसम्मान

जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहा है NDTF भविष्य की चुनौतियों और शिक्षकों के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने में लगी है। मुद्दों को दरकिनार कर वोट के लिए जाति, धर्म, क्षेत्र आदि के आधार पर सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। इस चुनाव में जनतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार कर संघी प्राचार्यों द्वारा कॉलेज में NDTF को मंच प्रदान किया जाता है। मानो उनके लिए दरबार सजाया गया हो। नियुक्ति और प्रमोशन को एहसान की तरह जताया जाता है। कुछ खबर धमकियों के भी सुनने में आ रहे हैं। कुल मिलाकर शिक्षकों के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

DTF का दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों से कहना है कि प्रमोशन और स्थायी नियुक्ति हमारा हक था और है जो हमें मिला। लेकिन जो साथी डिसप्लेस हुए हैं उनके हक के लिए और शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए D.U.T.A. के साझा उम्मीदवार आदित्य नारायण मिश्र को जिताएं।

For the Academic Council, the DTF has fielded the following four candidates:

Biswajit Mohanty,  Mithuraaj Dhusiya, Monami Sinha, Vikas Gupta

Elect

Democratic United Teachers’ Alliance candidate

Aditya Narayan Misra | B. No. 2

aditya

as DUTA President

and

DTF candidates

Abha Dev Habib | B. No. 1

abha

Manoj Kumar | B. No. 12

manoj

Rudrashish Chakraborty | B. No. 14

rudra

Sanjeev Kaushal | B. No. 16

sanjeev

to the DUTA Executive

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